tag:blogger.com,1999:blog-5980414285388393446.post2304174184692258639..comments2023-04-13T15:15:33.680+05:30Comments on पंकज के कुछ 'पंकिल शब्द': पूजा के पंडाल या पंडालों की पूजा?प्रकाश पंकज | Prakash Pankajhttp://www.blogger.com/profile/05215136201174516321noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5980414285388393446.post-6069278631700668372010-11-27T11:20:31.317+05:302010-11-27T11:20:31.317+05:30एक बात और प्रकाश जी कि किसी साल दुर्गा पूजा का अपन...एक बात और प्रकाश जी कि किसी साल दुर्गा पूजा का अपना समय कोलकाता में रहकर बिताएगा..मुझे पूर्ण विश्वास है कि इनकी कलाकारी आपका मन मोह लेगी और आप भगवान से यही कामना करेंगे कि ये परम्परा(पण्डाल बनाने की) कभी खत्म ना हो ताकि हरेक साल हमें इस अद्भुत कलाकारी को देखने का सौभाग्य प्राप्त होता रहे और भारतीयों की ये अनमोल कला और ज्यादा विकसित होती रहे...पूरे साल में यही एक समय होता है जब भारतीयों की कला awyaleekhttps://www.blogger.com/profile/00906702716415073964noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5980414285388393446.post-55744493648664343532010-11-27T10:55:55.640+05:302010-11-27T10:55:55.640+05:30जो मैं कहना चाह रहा था वो मनीष जी ने बहुत अच्छे से...जो मैं कहना चाह रहा था वो मनीष जी ने बहुत अच्छे से कह दिया है.ये बात तो सच है कि पण्डालों में जाने का मुख्य उद्देश्य हमारा पूजा करना नहीं होता है..पूजा तो हम जीवन भर घर में करते ही हैं पर अगर ये सब ना किए जायें तो हमारे जीवन में रंग कैसे भरेंगे.!ये सब नहीं होगा तो त्योहार जो लोगों के नीरस जीवन में रस भरते हैं वो वो वो त्योहार सिर्फ नाम का रह जाएगा..और ये सब पैसे की बर्बादी नहीं है..आप तो विज्यान awyaleekhttps://www.blogger.com/profile/00906702716415073964noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5980414285388393446.post-28934037587292226472010-10-22T00:39:41.636+05:302010-10-22T00:39:41.636+05:30@मनीष जी: धन्यबाद.. सोचने के लिए एक अलग दृष्टिकोण ...@मनीष जी: धन्यबाद.. सोचने के लिए एक अलग दृष्टिकोण देने का जो मुझसे छूट रहा था ..प्रकाश पंकज | Prakash Pankajhttps://www.blogger.com/profile/05215136201174516321noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5980414285388393446.post-77551356004107608572010-10-22T00:02:21.911+05:302010-10-22T00:02:21.911+05:30मै दुर्गा पूजा में माता के दर्शन के आलावा पंडाल दे...मै दुर्गा पूजा में माता के दर्शन के आलावा पंडाल देखने भी जाता हूँ और जाता रहूँगा। <br /><br />क्या आप सोचते हैं कि इन पंडालों पर लगाया गया पैसा सारा यूँ ही खर्च हो जाता है। भारतीय कारीगरों के श्रम से बनाए इन पंडालों को पैसे की बर्बादी बता देना उनके श्रम का अपमान है। पश्चिम बंगाल के कई जिलों के कलाकारों की रोजी रोटी दुर्गा माता की छवि व पंडाल की साज सज्जा से चलती है। लगता है उनका कल्याण आप समाज Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.com