मंदिर मस्जिद मिट जाने दो, मरघट उनको हो जाने दो ,
तुम न रोपो आज शिवालय, शिव को धरती पर आने दो ,
फिर तांडव जग में मच जाने दो, चिर वसुधा को धँस जाने दो ।
- 'पंकज'
फिर तांडव जग में मच जाने दो, चिर वसुधा को धँस जाने दो ।
- 'पंकज'
पता नहीं अकस्मात् ये भावनाएँ क्यों झिंझोड़ जाती हैं । निमंत्रण बिना आती हैं और उद्वेलित कर चली जाती हैं ।
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