अगर कोई बंगाली खुद को हम हिंदीभाषियों से बुद्धिजीवी माने और हमें तुच्छ तो मैं स्वीकार करूँगा ... कारण कि वो अंग्रेजी तो बोलते ही है, हमसे अच्छी भी बोल लेते हैं पर अपनी भाषा को कभी नहीं छोड़ते.. वो सभी संस्कृतियों को मानते हैं पर अपनी नहीं भूलते... ...... जब भी २ बंगाली बात कर रहे हों तो मैं शर्त लगा सकता हूँ कि वो बंगला ही बोल रहे होंगे. ... यह उनकी महानता है कि वो अपनी भाषा कहने पर ग्लानी नहीं गर्व महसूस करते हैं.... और हम हिंदीभाषी आज हिन्दी बोलने में ग्लानी महसूस करते हैं गर्व नहीं . ... भाई जब तुमको अपनी ही चीजें नीच लगती हैं और उधार की चीजें ज्यादा पसंद हैं तो तुम नीच ही हो लोग चाहे जो कहें
हिन्दी की सुंदरता उसकी अपनी लिपि में है .... रोमन लिपि में हिन्दी पढ़ने-लिखने में बड़ा कष्ट होता है
देवनागरी में टाइप करना आज उतना हीं आसान है जितना पानी गटकना ... आप जानते हीं होंगे फिर भी कुछ छोड़े जा रहा हूँ
१. http://www.epicbrowser.com/ भारत का पहला वेब-ब्राउसर जिसमें हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की टाइपिंग का विकल्प है
२. http://www.google.com/transliterate/ यह हिन्दी टाइपिंग की ऑनलाइन सुविधा..
३. http://www.google.com/ime/transliteration हिन्दी टाइपिंग की ऑफलाइन सुविधा जिसका प्रयोग कहीं भी किया जा सकता है नोटपैड, वर्ड इत्यादि
... और ऐसे हजारों विकल्प आज हैं हमारे पास हिन्दी को देवनागरी (यूनिकोड) में लिखने के लिए .. तो फिर .. हम उधार की लिपि में क्यों लिखें? उधार की भाषा क्यों बोले?
"अरबी,चीनी, अंग्रेजी,फ्रेँच,रुसी और स्पेनिश" ये वो ६ भाषाएँ है जो संयुक्तराष्ट्र की धरोहर है लेकिन हिन्दी नही| अपनी मातृभाषा "हिन्दी" का अत्याधिक प्रयोगकर आइये इसे विश्वस्तर का मान दिलवाने मेँ महत्त्वपूर्ण सहयोग दे.
एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी का नौकर पर अपना मालिक.
वर्त्तमान में सॉफ्टवेर इंजिनियर के रूप में कार्यरत ।
२००८ के जनवरी से मैंने कविता लिखनी शुरू की। "इतनी ऊँचाई न देना ईश्वर कि धरती पराई लगने लगे" मेरी पहली कविता है । मैं अपनी भावनाओं और विचारों को अक्सर कविता में ढालने की कोशिश करता हूँ पर बहुत कम बार ही सफल हो पता हूँ। मोतियाँ बहुत हैं पर मालाओं में पिरोना सीख रहा हूँ। कृपया आशीर्वाद दें !
शस्त्र भारी थे , उठता न था , लेखनी को ही अब शस्त्र बना लिया ।
शब्द धीमे थे , कोई सुनता न था , लेखन को ही अब स्वर बना लिया । - प्रकाश 'पंकज'
http://prakashpankaj.wordpress.com
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बहुत आभार इन रचनाओं के लिंक्स का.
जवाब देंहटाएंहिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!
अगर कोई बंगाली खुद को हम हिंदीभाषियों से बुद्धिजीवी माने और हमें तुच्छ तो मैं स्वीकार करूँगा ...
जवाब देंहटाएंकारण
कि वो अंग्रेजी तो बोलते ही है, हमसे अच्छी भी बोल लेते हैं पर अपनी भाषा
को कभी नहीं छोड़ते.. वो सभी संस्कृतियों को मानते हैं पर अपनी नहीं
भूलते...
...... जब भी २ बंगाली बात कर रहे हों तो मैं शर्त लगा सकता हूँ कि वो बंगला ही बोल रहे होंगे.
... यह उनकी महानता है कि वो अपनी भाषा कहने पर ग्लानी नहीं गर्व महसूस करते हैं.... और हम हिंदीभाषी आज हिन्दी बोलने में ग्लानी महसूस करते हैं गर्व नहीं .
... भाई जब तुमको अपनी ही चीजें नीच लगती हैं और उधार की चीजें ज्यादा पसंद हैं तो तुम नीच ही हो
लोग चाहे जो कहें
हिन्दी की सुंदरता उसकी अपनी लिपि में है .... रोमन लिपि में हिन्दी पढ़ने-लिखने में बड़ा कष्ट होता है
जवाब देंहटाएंदेवनागरी में टाइप करना आज उतना हीं आसान है जितना पानी गटकना ... आप जानते हीं होंगे फिर भी कुछ छोड़े जा रहा हूँ
१. http://www.epicbrowser.com/ भारत का पहला वेब-ब्राउसर जिसमें हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की टाइपिंग का विकल्प है
२. http://www.google.com/transliterate/ यह हिन्दी टाइपिंग की ऑनलाइन सुविधा..
३. http://www.google.com/ime/transliteration हिन्दी टाइपिंग की ऑफलाइन सुविधा जिसका प्रयोग कहीं भी किया जा सकता है नोटपैड, वर्ड इत्यादि
... और ऐसे हजारों विकल्प आज हैं हमारे पास हिन्दी को देवनागरी (यूनिकोड) में लिखने के लिए ..
तो फिर .. हम उधार की लिपि में क्यों लिखें? उधार की भाषा क्यों बोले?
"अरबी,चीनी, अंग्रेजी,फ्रेँच,रुसी और स्पेनिश"
जवाब देंहटाएंये वो ६ भाषाएँ है जो संयुक्तराष्ट्र की धरोहर है लेकिन हिन्दी नही|
अपनी मातृभाषा "हिन्दी" का अत्याधिक प्रयोगकर आइये इसे विश्वस्तर का मान दिलवाने मेँ महत्त्वपूर्ण सहयोग दे.