बुधवार, 24 मार्च 2010

फिर एक फिरंगी खेल के तम से ढकी शहादत भगत सिंह की

फिर एक फिरंगी खेल के तम से

ढकी शहादत भगत सिंह की । 

(२३ मार्च, २०१०) 
-प्रकाश पंकज

1 टिप्पणी:

  1. सम्झना होगा की जिसे हम आजादी मान बैठे है वह छद्म गुलामी है। भारत की राज सत्ता पर आज भी मलेच्छो की हुकुमत है। आज भी हमारी सरकारे वही भाषायी, खेल, सामाजिक एवम आर्थिक नितिया बनाती है जो अमेरिका एवम बेलायत के हितो के अनुकुल हो। एक बहुत बडी क्रांती प्रतिक्षा कर रही है। क्योकिं आप मे औसत से अधिक संवेदनशीलता है, इसलिए आपको उस सम्पुर्ण क्रांती का संवाहक बनना होगा। तैयार रहिए, जागते रहिए, जगाते रहिए .......

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