सोमवार, 23 नवंबर 2009

हे मेरे मृगचेतन मन, क्यूँ न मिटती इच्छाएँ तेरी !

हे मेरे मृगचेतन मन ! क्यूँ न मिटती इच्छाएँ तेरी ?

गुरुवार, 19 नवंबर 2009

हृदय धरा रमता नहीं, विकल रहा जड़ होने को !

हृदय धरा रमता नहीं, विकल रहा जड़ होने को !

सोमवार, 16 नवंबर 2009

रक्त बहे पर नीर न बहे ऐसा निष्ठुर जड़ कर दो !

हे प्रभु! 
रक्त बहे पर नीर न बहे ऐसा निष्ठुर जड़ कर दो,
प्राण मिटे पर शब्द न हिलें ऐसी निष्ठा घर कर दो।
– प्रकाश ‘पंकज’

अब रोक न शिव तू कंठ हलाहल, सब विकल हो रहे जलने को !

अब रोक न शिव तू कंठ हलाहल, सब विकल हो रहे जलने को !

अब रावण कहो या दुश्शासन, तरस रहे हम तरने को !

अब रावण कहो या दुश्शासन,  तरस रहे हम तरने को !

बुधवार, 4 नवंबर 2009

प्रभु मोहे भी दसमुख कर दो - श्री राम धरा बुलवाऊंगा !


प्रभु मोहे भी दसमुख कर दो - श्री राम धरा बुलवाऊंगा !  - पंकज

मंगलवार, 3 नवंबर 2009

शशिधर नृत्य करो ऐसा कि, नवयुग का फिर नव-सृजन हो !

शशिधर नृत्य करो ऐसा कि, नवयुग का फिर नव-सृजन हो !
भष्म कर दो अब यह धरती, पुनः धरा निर्माण हो, फिर से जन-एकांत हो !
शशिधर नृत्य करो ऐसा कि, नवयुग का फिर नव-सृजन हो !

सोमवार, 2 नवंबर 2009

शशिधर नाचो ऐसा तुम कि, नवयुग का फिर नव-सृजन हो !

शशिधर नाचो ऐसा तुम कि, नवयुग का फिर नव-सृजन हो !