बुधवार, 29 जून 2011

भारत बनाम भ्रष्टाचार: 'Thug' की जननी भारतभूमि

क्या आप जानते हैं?
अंग्रेजी में 'Thug' या 'Thuggery' शब्द भारत से हीं गया है।
क्यों? 
इतना भ्रष्टाचार देखकर आपको नहीं लगता 
कि भारत सबसे अच्छी जगह है ऐसे शब्दों के जनने के लिए? 
हमें तो गर्व होना चाहिए न?


– प्रकाश ‘पंकज’

शनिवार, 25 जून 2011

भारत बनाम भ्रष्टाचार: जनता भींगेगी या बरसेगी?


बारिश हो रही है, भींगो न भींगो तुमपर है;
छत्र जो है तुम्हारे पास।

देश के मौसम भी कुछ ऐसे हैं 
कि खून बरसेगा हीं बरसेगा;
तब कोई छत्र न होगा, भींगना ही होगा
– प्रकाश ‘पंकज’


* छत्र ~ Savior

गुरुवार, 23 जून 2011

कभी न पूरी हो सकने वाली जिद्द

तारीखें याद नहीं रहती,
घड़ियों को देखना छोड़ दिया..
मैंने हर उसके लिए रुकना छोड़ना सोंचा था जो मेरे लिए न रुका ...
..
(कभी न पूरी हो सकने वाली जिद्द?)

- प्रकाश 'पंकज'

बुधवार, 22 जून 2011

कैसी है रे होड़ सजन सब पाक चरित सुलगावै?

कैसी है रे होड़ सजन सब पाक चरित सुलगावै?
का करी घर मा बैठ कहो निज धरती आग लगावै? – प्रकाश 'पंकज' 

ऐ खाकनशीनों उठ बैठो, वह वक्त करीब आ पहुंचा है,
जब तख्त गिराए जाएंगे, जब ताज उछाले जाएंगे।
अब टूट गिरेंगी जंजीरें, अब जिंदानों की खैर नहीं,
जो दरिया झूम के उट्ठे हैं, तिनकों से न टाले जाएंगे।
दरबार-ए-वतन में जब इक दिन सब जाने वाले जाएंगे,
कुछ अपनी सजा को पहुंचेंगे, कुछ अपनी सजा ले जाएंगे।
कटते भी चलो, बढ़ते भी चलो, बाजू भी बहुत हैं,सर भी बहुत,
चलते भी चलो कि अब डेरे, मंजिल पे ही डाले जाएंगे।  - फैज अहमद फैज