मंगलवार, 3 नवंबर 2009

शशिधर नृत्य करो ऐसा कि, नवयुग का फिर नव-सृजन हो !

शशिधर नृत्य करो ऐसा कि, नवयुग का फिर नव-सृजन हो !
भष्म कर दो अब यह धरती, पुनः धरा निर्माण हो, फिर से जन-एकांत हो !
शशिधर नृत्य करो ऐसा कि, नवयुग का फिर नव-सृजन हो !

0 comments|टिप्पणियाँ:

आपके अवलोकन के लिए धन्यवाद करते हुए आपसे यह आग्रह करूँगा कि इसे पढ़ने के बाद आपके मन में जो भी विचार आये हों कृपया हमसे जरूर बाँटें ...