सोमवार, 16 नवंबर 2009

रक्त बहे पर नीर न बहे ऐसा निष्ठुर जड़ कर दो !

हे प्रभु! 
रक्त बहे पर नीर न बहे ऐसा निष्ठुर जड़ कर दो,
प्राण मिटे पर शब्द न हिलें ऐसी निष्ठा घर कर दो।
– प्रकाश ‘पंकज’

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