शुक्रवार, 25 जून 2010

दो लिंगों के आलिंगन को प्यार नहीं मैं कह सकता !

दो लिंगों के आलिंगन को प्यार नहीं मैं कह सकता ,
सुवसनों से लाख सजा दो श्रंगार उसे नहीं कह सकता।  - पंकज

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