बहने दी हमने न्याय की धारा,
आज चमकता दीख रहा है,
लोकतंत्र का एक सितारा । – प्रकाश 'पंकज'
गुरुवार, 30 सितंबर 2010
रविवार, 26 सितंबर 2010
वो राधा-किशन का प्रेम कहाँ? जगती जिसको दोहरा न सकी।
प्रेम गीत एक लिखने को
फिर कलम हमारी चल न सकी,
वो राधा-किशन का प्रेम कहाँफिर कलम हमारी चल न सकी,
जगती जिसको दोहरा न सकी? - प्रकाश 'पंकज'
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prakash pankaj
मंगलवार, 14 सितंबर 2010
कैसे गूंगा भारत महान जिसकी कोई राष्ट्रभाषा नहीं ?
कैसे गूंगा भारत महान जिसकी कोई राष्ट्रभाषा नहीं ?
मेरी दो कविताएँ हमारी मातृभाषा को समर्पित :
मेरी दो कविताएँ हमारी मातृभाषा को समर्पित :
– प्रकाश ‘पंकज’
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