शुक्रवार, 25 जून 2010

दो लिंगों के आलिंगन को प्यार नहीं मैं कह सकता !

दो लिंगों के आलिंगन को प्यार नहीं मैं कह सकता ,
सुवसनों से लाख सजा दो श्रंगार उसे नहीं कह सकता।  - पंकज

सोमवार, 21 जून 2010

ये दुनिया एक खन्जर है !

ओ दुनिया, मेरी अर्थी पर सर न झुकाना, रोना मत,
सर उठा कर फक्र से यूँ कहना,
मार डाला उस कमबख्त को जो कहता फिरता था - 
"ये दुनिया एक खन्जर है !"  
- पंकज

बुधवार, 16 जून 2010

भईया हम तो बिहारी हैं


भईया हम तो बिहारी हैं,

.. उगते सूरज से पहले 

डूबते सूरज को प्रणाम करते हैं,

अर्घ्य देते हैं !  

- प्रकाश 'पंकज'