गुरुवार, 21 अक्तूबर 2010

फिर भी न जाने कैसे हम निर्लज्जों को राष्ट्र पर गर्व है

हमारे हिन्दुस्तान में

हिन्दी कम जानना या नहीं जानना बड़े गर्व की बात है,

पर अंग्रेजी कम जानना एक शर्म की बात है

और अंग्रेजी नहीं जानना डूब मरने की बात है।

... फिर भी न जाने कैसे हम निर्लज्जों को राष्ट्र पर गर्व है

– प्रकाश 'पंकज'

9 टिप्‍पणियां:

  1. bilkul sahi kaha aapne. kabhi hamari rachnao ke liye bhi samay nikale.

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  2. हमारे मन में हीन भावना ग्रंथि बनी हुई है उससे उबारना पड़ेगा अपनी मात्री भाषा पर हमें गर्व है.

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  3. सही कहा ... डूब मरने वाली बात है ये ....

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  4. अगर कोई बंगाली खुद को हम हिंदीभाषियों से बुद्धिजीवी माने और हमें तुच्छ तो मैं स्वीकार करूँगा ...
    कारण
    कि वो अंग्रेजी तो बोलते ही है, हमसे अच्छी भी बोल लेते हैं पर अपनी भाषा
    को कभी नहीं छोड़ते.. वो सभी संस्कृतियों को मानते हैं पर अपनी नहीं
    भूलते...
    ...... जब भी २ बंगाली बात कर रहे हों तो मैं शर्त लगा सकता हूँ कि वो बंगला ही बोल रहे होंगे.
    ... यह उनकी महानता है कि वो अपनी भाषा कहने पर ग्लानी नहीं गर्व महसूस करते हैं.... और हम हिंदीभाषी आज हिन्दी बोलने में ग्लानी महसूस करते हैं गर्व नहीं .
    ... भाई जब तुमको अपनी ही चीजें नीच लगती हैं और उधार की चीजें ज्यादा पसंद हैं तो तुम नीच ही हो
    लोग चाहे जो कहें

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  5. ..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....मेरा ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए शुक़्रिया..

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  6. हिन्दी की सुंदरता उसकी अपनी लिपि में है .... रोमन लिपि में हिन्दी पढ़ने-लिखने में बड़ा कष्ट होता है (यह काम सोनिया जी और उनकी सेना को हीं शोभा देता है ;) )

    देवनागरी में टाइप करना आज उतना हीं आसान है जितना पानी गटकना ... आप जानते हीं होंगे फिर भी कुछ छोड़े जा रहा हूँ

    १. http://www.epicbrowser.com/ भारत का पहला वेब-ब्राउसर जिसमें हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की टाइपिंग का विकल्प है

    २. http://www.google.com/transliterate/ यह हिन्दी टाइपिंग की ऑनलाइन सुविधा..

    ३. http://www.google.com/ime/transliteration हिन्दी टाइपिंग की ऑफलाइन सुविधा जिसका प्रयोग कहीं भी किया जा सकता है नोटपैड, वर्ड इत्यादि

    ... और ऐसे हजारों विकल्प आज हैं हमारे पास हिन्दी को देवनागरी (यूनिकोड) में लिखने के लिए ..
    तो फिर .. हम उधार की लिपि में क्यों लिखें? उधार की भाषा क्यों बोले?

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  7. बंगाली अंग्रेजों के ज्यादा करीब रहे हैं इसलिए उनके इस संस्कार को अपना लिए हैं...औए एक बात कि बंग्ला में संस्कृत शब्दों का प्रयोग जितना होता है उतना हिंदी में भी नहीं होता है..ये खुशी की बात है अगर बंग्ला के कारण संस्कृत फिर से अपना गौरव प्राप्त कर ले..

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  8. "अरबी,चीनी, अंग्रेजी,फ्रेँच,रुसी और स्पेनिश"
    ये वो ६ भाषाएँ है जो संयुक्तराष्ट्र की धरोहर है लेकिन हिन्दी नही|
    अपनी मातृभाषा "हिन्दी" का अत्याधिक प्रयोगकर आइये इसे विश्वस्तर का मान दिलवाने मेँ महत्त्वपूर्ण सहयोग दे.

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