मंगलवार, 19 जुलाई 2011

फुलझड़ियों को आग लगाने से क्या होगा आज? बताओ !

छोड़ो गाना शब्द प्रलापी, व्यर्थ न ऐसे शीश नवाओ।
हिम्मत बाँधो, वीर प्रतापी, पत्थर काटो, राह बनाओ।
फुलझड़ियों  को आग लगाने से क्या होगा आज? बताओ !
साहस हो तो बम सुलगाओ, बहरों के पर्दे फाड़ गिराओ।
– प्रकाश ‘पंकज’


* संगर्भ: शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव


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