शुक्रवार, 5 नवंबर 2010

संकल्पों के दीप जलाता कदम बढ़ाता चल

संकल्पों के दीप जलाता कदम बढ़ाता चल,
वक्ष दबे बारूदों से खुद राह बनाता चल।  

– प्रकाश 'पंकज'


ये बारूद जो सुलग रहे हैं हम जैसों के भीतर, न जाने कब फूटेंगे,
फूटेंगे भी या फिर बस फुसफुसा कर ही रह जाएँगे - ये भी किसे पता?
... कोई बात नहीं,
आज तो कम से कम कुछ कानफोड़ू धमाके कर के बहरों को सुना देने का भ्रम और मजबूत कर लें!
 
शुभ पटाखोत्सव! ;)
शुभ दीपोत्सव!
आपको  और आपके परिवार को प्रकाश-पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ !

ऐसा दिया जलाएँ मन में, जग उजियारा होए!

3 टिप्‍पणियां:

  1. दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं...

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  2. काफी सुंदर तरीके से अपनी भावनाओं को अभिवयक्त किया है ...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें

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